Gajera Global School
एक कदम आशा की ओर

आज मनुष्य दुखों से भी घबराता है वह पर नहीं जानता की अगर सुख का सच्चा अनुभव करना हो तो दुख से नहीं घबराए। जो व्यक्ति दुख दर्द से दूर भागता है सामना नहीं करता है, वह दिल को छू लेने वाली सराबोर कर देने वाली सुख का अनुभव नहीं कर सकता। जैसे आप नीम की कड़वी पत्ती को चबाने के बाद शक्कर खाए तो उसका स्वाद आपको एक अलग अनुभूति देता है।
अगर आप हर समय सिर्फ शक्कर ही खाते हैं तो उसके स्वाद में कोई नई अनुभूति नहीं प्राप्त होती है, जो कड़वी नीम के पत्ते खाने के बाद मिलती है। निंदक और दुख ना सिर्फ जीवन में अवश्यंभावी है बल्कि जीवन के विकास में भी मददगार साबित होते हैं।
जीवन में कुछ हासिल करने के लिए इंतजार और सब्र जरूरी है। और यह वक्त तय करता है कि हमें कब क्या हासिल करना है बस कर्म करते जाना है। पुरुषार्थ करना इंसान का कर्म है संघर्ष में जीवन पथ पर आगे बढ़ते समय मनुष्य को कई बार अनुकूल प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। रात दिन ,धूप छांव,सर्दी गर्मी,की तरह जीवन में सुख दुख,हानि लाभ,सफलता असफलता का संयोग चलता ही रहता है। लक्ष्य जितना बड़ा होगा विपरीतता भी उसी अनुपात में आएगी। अधिकांश लोग इससे हार मान कर बैठ जाते हैं निराश हो जाते हैं। भविष्य के प्रति निराशावादी दृष्टिकोण अपना लेते हैं। निराशा चाहे किसी भी कारण से क्यों न पैदा हो जीवन के लिए एक अभिशाप है। जितने भी महापुरुष और वैज्ञानिक हुए हैं बेशक आशा और उत्साह से भरे थे। आशा ही विजय सफलता सुख और दुख सब कुछ दिलाती है। तभी तो तुर्क सम्राट तैमूर अपनी बार-बार की हार से निराश होकर एक बार अपनी गुफा में बैठा हुआ था। तभी उसने देखा एक चींटी बार-बार दीवार पर चढ़ने का प्रयास कर रही है बहुत कोशिश करने पर वह चींटी दीवार पर चढ़ने में कामयाब हो जाती है। यह घटना तैमूर में आशा का संचार करके उसके पुरुषार्थ को जगा देती है। और वह फिर से युद्ध के लिए तैयार हो जाता है।

आशा मनुष्य का शुभ संकल्प है। कार्य कैसा भी हो यदि मनुष्य आशा और उत्साह के साथ काम करेगा तो काम पूरा होगा। और उसे निसंदेह सफलता हासिल होगी। तभी तो कहा गया है की आशा ही जीवन है।
निराशा फैल चुकी है चारों ओर, क्यों ना बढ़ाए एक कदम आशा की ओर!!!